कलेक्टर श्री बी.एस. उइके ने जिले को टी.बी. मुक्त बनाने एवं निक्षय मित्र बनने मीडिया प्रतिनिधियों, जनप्रतिनिधियों, गणमान्य नागरिकों, अधिकारी-कर्मचारियों से की अपीलनिक्षय मित्र बनकर जिले के टी.बी. मरीजों का करें सहयोग
गरियाबंद 08 दिसम्बर 2025/ जिले को क्षय रोग (टीबी) मुक्त बनाने को ध्यान में रखते हुए कलेक्टर श्री बी.एस. उइके ने सभी नागरिकों, जनप्रतिनिधियों, व्यावसायिक प्रतिस्ठानों, सामाजिक संस्थाओं और स्वास्थ्य विभाग के कार्मियों से व्यापक सहयोग की अपील की है। उन्होंने कहा कि टीबी एक पूरी तरह उपचार योग्य और नियंत्रित की जा सकने वाली बीमारी है, परंतु इसके लिए समय पर पहचान, नियमित उपचार, पोषण सहयोग तथा सामुदायिक जागरूकता अत्यंत आवश्यक है। जिला प्रशासन का लक्ष्य है कि जिले के प्रत्येक व्यक्ति तक सही जानकारी पहुँचे और कोई भी नागरिक उपचार से वंचित न रहे। कलेक्टर श्री उइके ने बताया कि टीबी के लक्षणों में लगातार दो सप्ताह या उससे अधिक खांसी आना, बुखार, रात में पसीना आना, भूख कम होना, वजन घटने लगना और अत्यधिक कमजोरी महसूस होना शामिल है। किसी भी व्यक्ति में ये लक्षण दिखाई देने पर उसे तुरंत निकटतम स्वास्थ्य केंद्र या सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में जाकर निःशुल्क जांच करवानी चाहिए। उन्होंने कहा है कि जिले में टीबी की जांच, उपचार और दवाइयाँ पूरी तरह निःशुल्क उपलब्ध कराई जाती हैं। इसके साथ ही प्रत्येक मरीज का फॉलो-अप भी नियमित रूप से किया जाता है ताकि सभी मरीज उपचार के पूरे चक्र का पालन कर सकें। उन्होंने कहा है कि टीबी मरीजों को बेहतर पोषण उपलब्ध कराने के लिए केंद्र सरकार की निक्षय पोषण मित्र के तहत 500 रूपये प्रति माह की आर्थिक सहायता प्रतिमाह दी जाती है। इसके अतिरिक्त जिले में निक्षय मित्र कार्यक्रम के माध्यम से कई सामाजिक कार्यकर्ता, संस्थाएँ और जनप्रतिनिधि, अधिकारी, कर्मचारी टीबी मरीजों को गोद लेकर उनके पोषण, दवा सेवन, मानसिक सहयोग और आवश्यक जरूरतों की पूर्ति में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। कलेक्टर ने समाज के विभिन्न वर्गों से अपील करते हुए कहा कि अधिक से अधिक लोग निक्षय मित्र बनकर मरीजों को स्वस्थ होने में मदद करें। सामुदायिक सहभागिता बढ़ने से जिले को टीबी मुक्त बनाने में बड़ी सफलता मिलेगी। कलेक्टर श्री उइके ने स्वास्थ्य विभाग को निर्देशित किया है कि सभी ग्राम पंचायतों, स्कूलों, आंगनबाड़ियों और सार्वजनिक स्थलों में टीबी जागरूकता कार्यक्रमों को और अधिक प्रभावी ढंग से चलाया जाए। उन्होंने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में आशा कार्यकर्ता, एम.पी.डब्ल्यू., मितानिन और स्वास्थ्य टीम घर-घर जाकर टीबी के लक्षणों की पहचान, जनजागरूकता तथा मरीजों के फॉलो-अप कार्यों को निरंतर जारी रखें। जिला प्रशासन द्वारा समय-समय पर समीक्षा कर प्रगति का आकलन भी किया जा रहा है। इसके साथ ही उन्होंने नागरिकों से भी आग्रह किया कि टीबी मरीजों के प्रति किसी भी प्रकार का भेदभाव न करें। टीबी एक साधारण जीवाणु संक्रमण है, जिसका उचित उपचार मिलने पर रोगी पूरी तरह स्वस्थ हो सकता है। उन्होंने कहा कि टीबी मरीजों को सहयोग, प्रोत्साहन और मानसिक समर्थन की आवश्यकता होती है, किसी भी प्रकार की सामाजिक दूरी या नकारात्मक व्यवहार उनके उपचार को प्रभावित कर सकता है। कलेक्टर ने जिलेवासियों से सामूहिक संकल्प लेने का आह्वान किया कि सभी लोग मिलकर गरियाबंद को पूरी तरह टीबी मुक्त जिला बनाने के लिए जागरूकता बढ़ाएँ, मरीजों की मदद करें और स्वास्थ्य सेवाओं का प्रभावी उपयोग करें। उन्होंने विश्वास जताया कि प्रशासन, स्वास्थ्य विभाग और समाज की सहभागिता से यह लक्ष्य निश्चित रूप से पूरा किया जा सकता है।